उत्तराखंड: फिर ट्रोल हुई उर्वशी, बदरी धाम में बताया अपना मंदिर.. पुरोहितों ने जताया सख्त ऐतराज

चमोली: बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला अपने इंटरव्‍यू में अक्‍सर ऊल-जलूल बातें करने के लिए चर्चा में रहती हैं। लेकिन इस बार तो उन्‍होंने ऐसा दावा कर दिया बद्रीनाथ मंदिर के पास उनके नाम का मंदिर है। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला के इस इंटरव्यू पर स्थानीय पुजारी,

चमोली: बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला अपने इंटरव्‍यू में अक्‍सर ऊल-जलूल बातें करने के लिए चर्चा में रहती हैं। लेकिन इस बार तो उन्‍होंने ऐसा दावा कर दिया बद्रीनाथ मंदिर के पास उनके नाम का मंदिर है। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला के इस इंटरव्यू पर स्थानीय पुजारी, धार्मिक अधिकारी और बद्रीनाथ के निवासी नाराज़ हो रहे हैं।

दरअसल, उर्वशी रौतेला ने यूट्यूबर और ब्रॉडकास्टर सिद्धार्थ कन्नन के साथ एक पॉडकास्ट में यह दावा किया कि “बद्रीनाथ मंदिर के पास उनके नाम एक उर्वशी मंदिर है। जब प्रेजेंटर ने पूछा कि क्या यह मंदिर आपके नाम पर है और आपके लिए समर्पित है, तो उर्वशी ने उत्तर दिया, हां, वहां उर्वशी मंदिर है। उनका ये इंटरव्यू काफी वायरल हो रहा है, इस पर बद्रीनाथ धाम के स्थानीय पुजारी, धार्मिक अधिकारी और स्थानीय निवासी नाराज़ हो रहे हैं।

108 शक्तिपीठों में से एक है उर्वशी मंदिर

बद्रीनाथ धाम के पूर्व धार्मिक अधिकारी स्थानीय पुजारी भुवन चंद्र उनियाल ने कहा कि उर्वशी रौतेला का दावा भ्रामक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उर्वशी मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं में पूज्य देवी सती से जुड़ा है और इसे 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर बद्रीनाथ धाम में स्थित बामणी और पांडुकेश्वर गांवों के निवासियों की आध्यात्मिक प्रथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है, जो अपनी परंपरा के अनुसार वहां पूजा करते हैं। आपको बता दें कि मां उर्वशी मंदिर चमोली जिले के बामणी गांव में स्थित है। बामणी गांव बद्रीनाथ धाम से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बद्रीनाथ धाम आने वाले अधिकांश तीर्थयात्री इसी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

कौन थी माता उर्वशी?

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार मंदिर से जुड़ी दो कथाएं प्रचलित हैं। एक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु बद्रीनाथ में तपस्या कर रहे थे, तब उनकी गहन साधना के फलस्वरूप जांघ से एक अत्यंत सुंदर अप्सरा का जन्म हुआ, जिनका नाम उर्वशी था। उर्वशी को स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सराओं में से एक माना जाता है। उर्वशी ने बामणी गांव के निकट क्षेत्र में कुछ समय बिताया, इसलिए वहां उनकी पूजा मां उर्वशी देवी के रूप में की जाती है।
दूसरी मान्यता है कि अनुसार देवी सती की मौत के बाद भगवान शिव उनके शव को लेकर पृथ्वी लोक में भटक रहे थे, तब भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से माता सती के कई टुकड़े कर दिए। जिन्हें भारत के अलग-अलग स्थानों पर 108 शक्तिपीठों के रूप में पूजा जाता है। जिनमें से एक शक्तिपीठ बदरीनाथ धाम के बामणी गांव में है, जहाँ पर उर्वशी मंदिर की स्थापना की गई है।

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