पूर्व कुलपति से 1.47 करोड़ रुपये की ठगी में दिल्ली से दो और गिरफ्तार, कई लोगाें को बनाया शिकार सेवानिवृत्त कुलपति ने बीते अगस्त में शिकायत दर्ज की थी। जिसमें उन्होंने 1.47 करोड़ रुपये की ठगी की बात कही थी। रूहेलखंड विश्वविद्यालय की एक सेवानिवृत्त
पूर्व कुलपति से 1.47 करोड़ रुपये की ठगी में दिल्ली से दो और गिरफ्तार, कई लोगाें को बनाया शिकार
सेवानिवृत्त कुलपति ने बीते अगस्त में शिकायत दर्ज की थी। जिसमें उन्होंने 1.47 करोड़ रुपये की ठगी की बात कही थी।
रूहेलखंड विश्वविद्यालय की एक सेवानिवृत्त कुलपति को डिजिटल अरेस्ट कर 1.47 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में एसटीएफ की साइबर क्राइम टीम ने दो आरोपियों को शुक्रवार को दिल्ली के करोलबाग से गिरफ्तार किया। इसी मामले में एक अन्य आरोपी 31 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के सोलन से गिरफ्तार हो चुका है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों का जाल पूरे देश में फैला है।
एसएसपी नवनीत सिंह ने बताया कि अगस्त 2025 में नैनीताल निवासी एक सेवानिवृत्त कुलपति ने शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपियों ने खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम विभाग का अधिकारी बताकर पीड़िता को धमकाया था। उन्हें डराया कि उनके नाम पर खुले एक बैंक खाते में मनी लॉन्ड्रिंग के 60 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। उन्हें व्हाट्सएप कॉल के जरिये लगातार डराया-धमकाया और कहा कि उनके सभी बैंक खातों का वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके लिए उन्हें डिजिटल अरेस्ट बताकर अलग-अलग खातों में 1.47 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
इस मामले की जांच के लिए डीएसपी अंकुश मिश्रा की टीम ने बैंक खातों, मोबाइल नंबरों और व्हाट्सएप डाटा की जांच की तो पता चला कि जिस आईसीआईसीआई बैंक खाते में पीड़िता से 33 लाख रुपये जमा कराए गए थे वह गोवा के एक व्यक्ति का है जिसका रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दिल्ली के करोलबाग में एक्टिव पाया गया। तकनीकी साक्ष्य के आधार पर पुलिस टीम ने करोलबाग स्थित कृष्णा स्टे पीजी गेस्ट हाउस में छापा मारकर दो आरोपियों मोहम्मद सैफ (24) निवासी लखनऊ और शकील अंसारी (23) निवासी झारखंड को गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से नौ मोबाइल फोन, 14 सिम कार्ड, तीन चेक बुक, सात चेक, चार डेबिट कार्ड, एक पासपोर्ट और एक फर्म की मुहर बरामद हुई।
एक बैंक खाते से सात लोगाें को लगाई चपत
एसएसपी सिंह ने बताया कि आरोपियों ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि वे पीड़िता को लगातार व्हाट्सएप कॉल पर बने रहने के लिए कहते थे और किसी अन्य व्यक्ति से संपर्क करने से मना करते थे। वे अलग-अलग बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे ताकि पुलिस से बच सकें। पीड़िता से मिली धनराशि को तुरंत ही अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया गया था। जिस आईसीआईसीआई बैंक खाते का इस्तेमाल आरोपियों ने किया, उसके जरिये उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों में करीब सात लोगों को डिजिटल अरेस्ट बताकर ठगने में किया गया। इस संबंध में संबंधित राज्यों को सूचित किया जा रहा है।
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