एसटीएफ की कार्रवाई में फर्जी दस्तावेज, बैंक चेकबुक, पैन-आधार कार्ड और मोबाइल बरामद

एसटीएफ की कार्रवाई में फर्जी दस्तावेज, बैंक चेकबुक, पैन-आधार कार्ड और मोबाइल बरामद

एसटीएफ की कार्रवाई में फर्जी दस्तावेज, बैंक चेकबुक, पैन-आधार कार्ड और मोबाइल बरामद देहरादून। उत्तराखण्ड एसटीएफ की साइबर क्राइम पुलिस टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी ट्रस्ट और कंपनियाँ बनाकर करोड़ों की साइबर ठगी करने वाले शातिर आरोपी अजय कुमार त्रिपाठी (28 वर्ष)

एसटीएफ की कार्रवाई में फर्जी दस्तावेज, बैंक चेकबुक, पैन-आधार कार्ड और मोबाइल बरामद

देहरादून। उत्तराखण्ड एसटीएफ की साइबर क्राइम पुलिस टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी ट्रस्ट और कंपनियाँ बनाकर करोड़ों की साइबर ठगी करने वाले शातिर आरोपी अजय कुमार त्रिपाठी (28 वर्ष) को गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने बताया कि देहरादून निवासी एक वरिष्ठ नागरिक ने शिकायत दर्ज कराई थी कि फेसबुक लिंक और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए उन्हें शेयर ट्रेडिंग और IPO-FPO में भारी मुनाफा दिलाने का झांसा देकर लगभग ₹44.50 लाख की ठगी की गई।

पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी Shree Shiv Shyam Sewa Trust सहित कई फर्जी ट्रस्ट और कंपनियों के नाम पर बैंक खाते संचालित कर रहा था। आरोपी के मोबाइल की जांच में टेलीग्राम चैट से बैंक खातों और पैसों के लेन-देन की संदिग्ध जानकारी मिली, जो कम्बोडिया और थाईलैंड के अंतर्राष्ट्रीय गिरोह से जुड़े होने के संकेत देती है।

बरामद सामग्री:

05 चैकबुक (अलग-अलग बैंकों की)

03 स्टैम्प (फर्जी ट्रस्ट/कंपनियों के नाम से)

03 पैन कार्ड व 02 आधार कार्ड (अलग-अलग पते वाले)

01 डेबिट कार्ड (YES Bank)

03 फर्जी ट्रस्ट/कंपनियों की फ्लेक्सी

03 ट्रस्ट डीड

01 मोबाइल फोन (साथ सिम) व 02 अतिरिक्त सिम कार्ड

आरोपी का विवरण:

अजय कुमार त्रिपाठी, पुत्र डी.के. त्रिपाठी, मूल निवासी इन्द्रा नगर, लखनऊ; वर्तमान में गाजियाबाद और नोएडा में अलग-अलग पते पर रहकर गिरफ्तारी से बचता रहा।

ठगी का तरीका:

आरोपी फेसबुक लिंक से लोगों को व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़कर फर्जी मोबाइल एप ASBPL डाउनलोड कराता और निवेश पर भारी मुनाफा दिलाने का झांसा देता। धीरे-धीरे करोड़ों रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा लिए जाते।

एसएसपी एसटीएफ ने जनता से अपील की है कि ऑनलाइन जॉब, ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट से पहले कंपनी और प्लेटफॉर्म की पूरी जांच-पड़ताल करें। किसी भी संदिग्ध लिंक या एप पर क्लिक न करें और ऑनलाइन धोखाधड़ी की सूचना 1930 टोल-फ्री नंबर या www.cybercrime.gov.in पर तुरंत दें।

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