दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर ओवरलोड होगा कम, एलिवेटेड रोड से सीधे ऐसे पहुंचेंगे वाहन मसूरी

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर ओवरलोड होगा कम, एलिवेटेड रोड से सीधे ऐसे पहुंचेंगे वाहन मसूरी

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर ओवरलोड होगा कम, एलिवेटेड रोड से सीधे ऐसे पहुंचेंगे वाहन मसूरी दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से शहर के लोगों के साथ ही दिल्ली से पहुंचने वाले लोगों को भी राहत मिलेगी। यहां जाम के कारण लोगों को भारी समस्या से जूझना पड़ता था, लेकिन

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर ओवरलोड होगा कम, एलिवेटेड रोड से सीधे ऐसे पहुंचेंगे वाहन मसूरी

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से शहर के लोगों के साथ ही दिल्ली से पहुंचने वाले लोगों को भी राहत मिलेगी। यहां जाम के कारण लोगों को भारी समस्या से जूझना पड़ता था, लेकिन अब इस समस्या से छुटकारा मिल सकेगा।

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर अब ओवरलोड कम होगा। एलिवेटेड रोड से सीधे वाहन मसूरी पहुंच सकेंगे। इसके साथ ही शहर के लोगों को भी जाम से निजात मिल सकेगी। वहीं दून में 6100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले एलिवेटेड रोड में भू-अधिग्रहण के बदले भवनस्वामियों को मुआवजा दिया जाएगा।

अब तक शासन स्तर से भवनस्वामियों को जमीन के बदले जमीन देने के लिए कोई प्रस्ताव तैयार नहीं कराया गया है। जिला प्रशासन की ओर से यह तय माना जा रहा है कि भूमि अधिग्रहण के बदले भस्वामियों को मुआवजा ही दिया जाएगा। इसके लिए सभी जरूरी प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है।दून में 26 किमी. लंबे एलिवेटेड रोड को बनाने के लिए 26 मोहल्लों में भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे बने 2614 मकानों को तोड़कर भू-अधिग्रहण होगा

15 दिनों में सामाजिक समाघात सर्वे भी पूरा करने की बात
प्रभावित लोगों के लिए दो विकल्प हैं। पहला मुआवजा, दूसरा जमीन के बदले जमीन। सबसे पहले प्रभावितों को जमीन के बदले जमीन देकर पुनर्वास करने पर विचार किया जाता है। इसके लिए बाकायदा पुनर्वास नीति बनाना जरूरी है, इस नीति के तहत ही प्रभावितों काे जमीन का आवंटन व अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके लिए शासन स्तर से नीति का निर्माण किया जाता है।

भू-अधिग्रहण की जद में आ रहे मकानों पर लाल निशान लगने लगे हैं। 15 दिनों में सामाजिक समाघात सर्वे भी पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन जमीन के बदले जमीन देने को लेकर शासन स्तर पर कोई चर्चा नहीं है। भूअर्जन नीति को लेकर भी कोई प्रस्ताव शासन ने तैयार नहीं किया है।

एमडीडीए व नगर निगम ने लैंडबैंक के तौर पर जो जमीन प्रस्तावित की थी, उसका निरीक्षण भी नहीं किया गया। नए लैंड बैंक को लेकर भी कोई सुगबुगाहट नहीं है। ऐसे में प्रशासन तय मान रहा है कि प्रभावितों को भूमि के बदले मुआवजा ही दिया जाएगा। इसी के अनुरूप जिला प्रशासन अपनी तैयारी कर रहा है।

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