उत्तराखण्ड

निकाय चुनाव में पूर्व सीएम हरीश रावत मतदान नहीं कर पाए, मतदाता सूची में नाम न होने से गरमाई राजनीति

उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव में पूर्व सीएम हरीश रावत मतदान नहीं कर पाए। मतदाता सूची में नाम न होने से कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाए हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी ने सफाई देते हुए मतदाता सूची जारी की है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने इसे लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास बताया है।

जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से मतदाता सूची में नाम होने की जानकारी देने के बाद भी पार्टी ने इसे कोरी सफाई करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि मतदाता सूची में जब हरीश रावत का नाम खोजा जा रहा था तो निर्वाचन आयोग के अधिकारी अपने दायित्व का निर्वहन करने से बचते रहे।
वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने इस प्रकरण को सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर लोकतंत्र का गला घोंटने का प्रयास बताया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मतदान करने से वंचित रह गए। मतदाता सूची में उनका नाम नहीं होने को लेकर कांग्रेस ने जब निर्वाचन आयोग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए तो जिला निर्वाचन अधिकारी सफाई देने के लिए मतदाता सूची जारी कर रहे हैं।

हरीश रावत और उनकी धर्मपत्नी वरिष्ठ नागरिक हैं। पूरे दिन मतदाता सूची में उनका नाम खोजा गया, लेकिन नहीं मिला। आयोग ने उसी समय इस बारे में तत्परता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि धर्मपुर, भगवानपुर और डोईवाला विधानसभा क्षेत्रों से भी ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि बड़ी संख्या में मतदाता सूची में नाम नहीं होने से मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए।

उधर, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि निर्वाचन आयोग को मतदान के लिए पारदर्शिता और सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए थी। पिछले आम चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में नहीं थे।
आयोग ने 10 हेल्पलाइन नंबर जारी किए थे, लेकिन उन्हें बताया गया कि इन नंबर पर फोन नहीं उठाए जा रहे थे। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में विश्वास लोकतंत्र की सबसे बड़ी आवश्यकता है। अन्यथा जो उंगलियां मतदान के बाद शान से उठाई जाती हैं, वही सरकार की मंशा पर भी उठने लगेंगी।

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