उत्तराखंड में महिलाओं और किशोरियों की गुमशुदगी के चौंकाने वाले आंकड़े, 767 अब भी लापता

उत्तराखंड में महिलाओं और किशोरियों की गुमशुदगी के चौंकाने वाले आंकड़े, 767 अब भी लापता

उत्तराखंड में महिलाओं और किशोरियों की गुमशुदगी का आंकड़ा चिंताजनक ऑपरेशन स्माइल के तहत तेज होगा पुलिस अभियान देहरादून। उत्तराखंड में महिलाओं और किशोरियों की गुमशुदगी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वे न केवल चौकाने वाले हैं, बल्कि राज्य की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी

उत्तराखंड में महिलाओं और किशोरियों की गुमशुदगी का आंकड़ा चिंताजनक
 ऑपरेशन स्माइल के तहत तेज होगा पुलिस अभियान

देहरादून। उत्तराखंड में महिलाओं और किशोरियों की गुमशुदगी को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वे न केवल चौकाने वाले हैं, बल्कि राज्य की सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करते हैं। आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में राज्य में कुल 7747 महिलाओं और 2753 किशोरियों की गुमशुदगी दर्ज की गई है। इनमें से 642 महिलाएं और 125 किशोरियां अब भी लापता हैं।

आरटीआई से जो आंकड़े सामने आए हैं, उनके अनुसार:

  • वर्ष 2021 में 62 महिलाएं और 6 किशोरियां,
  • वर्ष 2022 में 79 महिलाएं और 8 किशोरियां,
  • वर्ष 2023 में 75 महिलाएं और 9 किशोरियां,
  • वर्ष 2024 में 153 महिलाएं और 25 किशोरियां,
  • वर्ष 2025 (अब तक) में 273 महिलाएं और 77 किशोरियां अब भी लापता हैं।

इन मामलों में सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि कई मामलों में ह्यूमन ट्रैफिकिंगधर्मांतरण, और गलत मंशा से भगाने जैसे गंभीर पहलू भी सामने आए हैं। पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि गुमशुदा मामलों में से अधिकांश पारिवारिक विवादों से जुड़े होते हैं, लेकिन कई मामलों में किशोरियों को बहला-फुसलाकर भगाया गया है और कुछ में आपराधिक मंशा भी पाई गई है।

राज्य पुलिस ने “ऑपरेशन स्माइल” के तहत गुमशुदा व्यक्तियों की तलाश और रेस्क्यू का अभियान शुरू किया है, जिसकी बदौलत कई महिलाएं और किशोरियां सकुशल वापस लाई गईं हैं। पुलिस अब इस अभियान को और तेज करने जा रही है। इसके साथ ही रेस्क्यू के बाद रिहैबिलिटेशन और साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए केवल पुलिस प्रयास ही नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता, शिक्षा और परिवारों की भूमिका भी अहम है।

राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि महिलाओं और किशोरियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में ऐसे मामलों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके।

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